आज आईने के सामने खड़े हो, कर खुद से माफ़ी माफ़ी ली मैंने, सब से ज्यादा खुद का ही दिल, दुखाया है दूसरों को खुश करने में।
किसी से जुदा होना अगर, इतना आसान होता, तो जिस्म से रूह को लेने, कभी भी फ़रिश्ते ना आते।
बड़ी हिम्मत दी है उसकी जुदाई ने, ना ही किसी को खोने का डर है, आज ना ही किसी को, पाने की चाह है।